सर्वेश्वर दयाल सक्सेना (Sarveshwar Dayal Saxena) का जीवन परिचय

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना (Sarveshwar Dayal Saxena) हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध  कवि एवं साहित्यकार थे. वह कहते थे कि "जिस देश के पास समृद्ध बाल साहित्य नहीं है, उसका भविष्य उज्ज्वल नहीं रह सकता". सर्वेश्वर दयाल सक्सेना (Sarveshwar Dayal Saxena) का शिक्षा बनारस और अलाहबाद में हुई थी. वर्ष 1949  में प्रयाग में उन्हें एजी आफिस में प्रमुख डिस्पैचर के पद पर कार्य मिल गया। यहाँ वे वर्ष 1955  तक रहे। उसके बाद वे आल इंडिया रेडियो के सहायक संपादक (हिंदी समाचार विभाग) पद पर उनकी नियुक्ति हो गई तथा सर्वेश्वर दयाल सक्सेना (Sarveshwar Dayal Saxena) इस पद पर वे दिल्ली में वे 1960  तक नियुक्त रहे। वर्ष  1961 के बाद वे दिल्ली छोड़कर से लखनऊ आ गए तथा  1964  में लखनऊ रेडियो की नौकरी के बाद वे कुछ समय भोपाल एवं रेडियो में भी कार्यरत रहे। वर्ष 1982 में प्रमुख बाल पत्रिका पराग के सम्पादक बने। नवंबर1982 में पराग का संपादन संभालने के बाद वे मृत्यु से पहले तक उससे जुड़े रहे।सर्वेश्वर दयाल सक्सेना (Sarveshwar Dayal Saxena) का  निधन 23 सितंबर 1983 को नई दिल्ली में उनका निधन हो गया था ।

परीक्षा की दृष्टि से साहित्यकार सर्वेश्वर दयाल सक्सेना (Sarveshwar Dayal Saxena)  सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य 

जन्म - 1927
जन्म स्थान - बस्ती जिला ( उत्तर प्रदेश )
मृत्यु - 1983 में
पत्रिका - दिनमान ( उपसंपादक )
कविता संग्रह - 
            1- काठ की घंटियाँ
            2- बाँस का पुल
            3- एक सूनी नाव
            4- गर्म हवाएँ
            5- कुआनो नदी
            6- जंगल का दर्द
            7- खूँटियों पर टगे लोग
उपन्यास - 
            1- सोया हुआ जल ( एक प्रतीकात्मक उपन्यास ) - 1954 
            2- पागल कुत्तों का मसीहा - 1977
            3- सूने चौखट - 1981
            4- अँधेरे पर अँधेरा
            5- उड़ते हुए रंग
नाटक - 
            1- बकरी - 1974
            2- लड़ाई - 1979
            3- अब गरीबी हटाओ - 
बाल साहित्य -
            1- भौं भौं खौं खौं
            2- बतूता का जूता
            3- लाख की नाक
साहित्य अकादमी पुरस्कार -
1- खूँटियों पर टगे लोग ( कविता संग्रह ) के लिए सर्वेश्वर दयाल सक्सेना को साहित्य अकादमी पुरस्कार 1983 ई0 में दिया गया था।
2- ‘‘ लड़ाई ’’ नाटक सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की एक कहानी का नाट्य-रूपान्तर हैं।